नहीं रही शिकायत मुझे अब तेरे नज़र अंदाज से तू बाकियों को खुश रख हम तो तन्हा ही अच्छे हैं|
घमंड के लिए नहीं बल्कि आत्मसम्मान के लिए कभी-कभी ज़िन्दगी में कुछ लोगों का साथ छोड़ना पड़ता है|
आज़ाद कर दिए हमने अपने मनपसंद लोग अब न कोई ख्वाहिश रही न कोई रोग|
बेवजह हमने मैसेज करना छोड़ दिए, जब कोई अपना समझता ही नहीं तो परेशान क्यों करना|
मेरे माँ ने मेरा कोई खिलौना आज तक नहीं तोड़ा और वो हमारा बड़ी आराम से दिल तोड़ गए|
किसी पर भी अपना अधिकार समझ लेता हूँ पागल हूँ न मतलब को भी प्यार समझ लेता हूँ|
गलत ये हुआ की हम पूरे खर्च हो गए, गलत जगह पर और गलत लोगों पर|
तुझसे बात करने का दिल तो बहुत करता है, पर तेरी दी हुए बेज़्ज़ती भी याद आ जाती है|
काश तुझे मेरी जरूरत हो मेरी तरह और मै तुझे नज़र अंदाज़ करूँ तेरी तरह|
नहीं होता अब ये खुश होने दिखावा मुझसे, खाती है रोज़ उसकी यादें मुझे अंदर से|